दिल्ली का लाल किला किसने और कब बनाया था|



लाल किले का नाम सुनते ही हमारे सामने एक इतिहासिक धरोहर और सैकड़ो वर्षो का इतिहास दिखाई पड़ता है और कई सारे प्रश्न हमारे मन में उमड़ पड़ते है। आज उन्हीं में से एक प्रश्न के बारे में हम बताएँगे टाइटल को देख के आप सब समझ ही गए होंगे की हम आज क्या बताने वाले है। तो आगे बढ़ते है लाल किले और दिल्ली से जुड़ा पहला नाम राजा अनंगपाल तोमर द्वितीय का है चलिये जाने राजा अनंगपाल के बारे में।

अनंगपाल तोमर द्वितीय

अनंगपाल तोमर द्वितीय  दिल्ली के शासक सं. 17 जून 1051 बने ये दिल्ली के 16 वे सासक थे बताया जाता है की उन्होंने मिहिरावली (महरौली) आधुनिक दिल्ली का नाम दिया दिल्ली शहर को इन्होने ही बसाया था। ये क्षत्रिय थे राजा अनंगपाल महाभारत के अभिमन्यु के वंशज तथा महाराजा पृथ्वीराज चौहान के नाना थे इन्होने दिल्ली पे सं. 1051 से 1081 तक राज किया था। इन्होने दिल्ली शहर बसाने के रूप में ही 11 वीं शताब्दी के मध्य में उन्होंने लाल कोट (लाल किला) किले का निर्माण करवाया था। 

लाल किले के बारे में

इस किले को "लाल किला" इसकी दीवारों के लाल बलुआ पत्थर रंग के कारण कहा जाता है। इस ऐतिहासिक किले को वर्ष '2007' में युनेस्को द्वारा एक विश्व धरोहर स्थल चयनित किया गया था। यह किला भी यमुना नदी के किनारे पर स्थित है। यही इसकी चार दीवारी बनाती है। यह दीवार 1.5 मील (2.5 किमी) लम्बी है और नदी के किनारे से इसकी ऊँचाई 60 फीट (16मी), तथा 110 फीट (35 मी) ऊँची शहर की ओर से है। इसके नाप जोख करने पर ज्ञात हुआ है, कि इसकी योजना एक 82 मी की वर्गाकार ग्रिड (चौखाने) का प्रयोग कर बनाई गई है। लाल किले की योजना पूर्ण रूप से की गई थी और इसके बाद के बदलावों ने भी इसकी योजना के मूलरूप में कोई बदलाव नहीं होने दिया है। 18वीं सदी में कुछ लुटेरों एवं आक्रमणकारियों द्वारा इसके कई भागों को क्षति पहुँचाई गई थी। 1857 का प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के बाद, किले को ब्रिटिश सेना के मुख्यालय के रूप में प्रयोग किया जाने लगा था। इस सेना ने इसके करीब अस्सी प्रतिशत मण्डपों तथा उद्यानों को नष्ट कर दिया। इन नष्ट हुए बागों एवं बचे भागों को पुनर्स्थापित करने की योजना सन 1903 में उमैद दानिश द्वारा चलाई गई।



1857 के स्वतंत्रता संग्राम

1857 के स्वतंत्रता संग्राम के बाद  किले पर ब्रिटिश सेना का कब्जा़ हो गया, एवं कई रिहायशी महल नष्ट कर दिये गये। इसे ब्रिटिश सेना का मुख्यालय भी बनाया गया। इसी संग्राम के एकदम बाद बहादुर शाह जफर पर यहीं मुकदमा भी चला था। यहीं पर नवंबर 1945 में इण्डियन नेशनल आर्मी के तीन अफसरों का कोर्ट मार्शल किया गया था। यह स्वतंत्रता के बाद 1947 में हुआ था। इसके बाद भारतीय सेना ने इस किले का नियंत्रण ले लिया था। बाद में दिसम्बर 2003 में, भारतीय सेना ने इसे भारतीय पर्यटन प्राधिकारियों को सौंप दिया। इस किले पर दिसम्बर 2000 में लश्कर-ए-तोएबा के आतंकवादियों द्वारा हमला भी हुआ था। इसमें दो सैनिक एवं एक नागरिक मृत्यु को प्राप्त हुए। इसे मीडिया द्वारा काश्मीर में भारत - पाकिस्तान शांति प्रक्रिया को बाधित करने का प्रयास बताया गया था। 1947 में भारत के आजाद होने पर ब्रिटिश सरकार ने यह परिसर भारतीय सेना के हवाले कर दिया था, तब से यहां सेना का कार्यालय बना हुआ था। 22 दिसम्बर 2003 को भारतीय सेना ने 56 साल पुराने अपने कार्यालय को हटाकर लाल किला खाली किया और एक समारोह में पर्यटन विभाग को सौंप दिया। 



आधुनिक युग

लाल किला दिल्ली शहर का सर्वाधिक प्रख्यात पर्यटन स्थल है इस लाखो पर्यटकों को प्रतिवर्ष आकर्षित करता है। यह किला वह स्थल भी है, जहाँ से भारत के प्रधान मंत्री स्वतंत्रता दिवस 15 अगस्त को देश की जनता को सम्बोधित करते हैं। यह दिल्ली का सबसे बडा़ स्मारक भी है। एक समय था, जब 3000 लोग इस इमारत समूह में रहा करते थे।






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