जनरल रावत का हेलीकॉप्टर दुर्घटना में पत्नी संग निधन पुरा देश दे रहा श्रद्धांजलि

 भारत की सशस्त्र सेनाओं के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत (Bipin Rawat) का असामयिक निधन हो गया। जनरल रावत 1978 को भारतीय सेना में कमीशन हुए और उन्होंने 43 वर्ष की सैन्य सेवा में देश के सर्वोच्च मिलिट्री रैंक तक का सफर तय किया।

नोट

• तमिलानडु के कुन्‍नूर में हुए हादसे में जनरल बिपिन रावत का असामयिक निधन हो गया

• वह गढ़वाल के एक सामान्य गांव से निकलकर रायसीना के सबसे ऊंचे सैन्य ओहदे तक पहुंचे

• इस हादसे में उनकी पत्‍नी का भी निधन हो गया, क्रैश में कुल 13 लोगों की मौत हुई है


तमिलानडु के हादसे में जनरल बिपिन रावत का असामयिक निधन हो गया। हादसे की तमाम खबरों के बीच सारे देश की निगाहें नीलगिरि पर्वत की उसी शिरा पर टिकी रही, जहां आखिरी बार जनरल रावत के चॉपर को उड़ते देखा गया। शाम के वक्त आई उनके जाने की तस्वीरों से देश का हर वो इंसान मर्माहत है, जिन्होंने उनके राष्ट्र समर्पण की कहानी सुनी थी। गढ़वाल के एक सामान्य गांव से निकलकर रायसीना के सबसे ऊंचे सैन्य ओहदे तक पहुंचे जनरल रावत उस विभूति पुरुष की तरह जाने जाएंगे, जिन्होंने भारत की सेनाओं को सशक्त करने, समन्वयित करने और देश की रक्षा के कर्तव्यों को पूरी निष्ठा से निभाने को जीवन दे दिया।


नैशनल डिफेंस अकादमी से अपने सैन्य सफर की शुरुआत करने वाले रावत नहीं रुके आज दोपहर की उस उड़ान तक, जिसके बाद उनके जाने की दुखद खबर सामने आई है। वो चलते रहे एक अभूतपूर्व यात्रा पर गोरखा राइफल्स के उस जवान के रूप में ही, फिर चाहे ओहदे कितने बड़े हुए हों। जनरल रावत सीमाओं पर पहुंचे तो जवानों का साहस बढ़ाया, गांव पहुंचे तो लोगों के बेटे हो गए, दिल्ली से पाकिस्तान के सरपरस्तों को सीधा सा जवाब दिया- सीधी भाषा में बताया कि हिंदुस्तान पर उठी हर आंख निकाल ली जाएगी।


स्वॉर्ड ऑफ ऑनर से लेकर परम विशिष्ट सेवा मेडल तक, 11 गोरखा राइफल्स से देश के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ तक, गढ़वाल के गांव से लेकर कश्मीर के ऊंचे पहाड़ों तक, जनरल रावत ने जितना विशाल जीवन जिया वो हर सैन्यकर्मी के लिए एक प्रेरणा बनकर शाश्वत रहेगा। कश्मीर के उरी में कर्नल बिपिन रावत, सोपोर में रावत साहब और दिल्ली में जनरल रावत बने बिपिन रावत अब एक अनन्त यात्रा पर चले गए हैं। लेकिन ना रैंक गई ना जनरल रावत का फौजी होना...कश्मीर के एक समारोह में उन्होंने कहा था- फौजी और उनकी रैंक कभी रिटायर नहीं होते।


जनरल रावत हमेशा याद किए जाएंगे, उस शख्स की तरह जिसने पुलवामा के हमले के बाद पाकिस्तान को विध्वंस की भाषा में जवाब दिया, चीन को उसकी हरकतों में नाकाम किया, भारत की तीनों सेनाओं के बीच समन्वय बैठाने के सैकड़ों सार्थक कदम उठाए। जनरल रावत का निधन देश के लिए एक अपूर्णीय क्षति है, एक ऐसी कमी जो शायद ना पूरी हो सके। लेकिन वो तो फौजी हैं, फौजी मुल्क की हिफाजत का कर्तव्य हमेशा उठाता है। दुनिया चाहे कोई भी हो।

जनरल रावत को सत सत नमन।

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